
भारत-नेपाल सीमा हमेशा से ही संवेदनशील क्षेत्र रहा है, जहां व्यापारिक गतिविधियों के साथ-साथ तस्करी भी बड़े पैमाने पर होती आई है। एक वायरल वीडियो सामने आया है, जिसमें रात के अंधेरे में कई पिकअप वाहनों को हजारों बोरी खाद्यान्न और अन्य सामान अवैध रूप से सीमा पार ले जाते हुए देखा गया। यह घटना सुरक्षा एजेंसियों की कार्यशैली और सीमा प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
तस्करी की जड़ें और बढ़ता नेटवर्क
भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा होने के कारण इस क्षेत्र में अवैध व्यापार और तस्करी की संभावनाएं अधिक रहती हैं। खाद्यान्न, मवेशी, दवाइयां, इलेक्ट्रॉनिक सामान, नकली नोट, ड्रग्स, और यहां तक कि हथियारों की तस्करी भी होती है। कई बार देखा गया है कि तस्कर सुरक्षा एजेंसियों की मौजूदगी के बावजूद बेखौफ होकर अपने काम को अंजाम देते हैं।
तस्करी के इस बढ़ते नेटवर्क का संचालन संगठित गिरोहों द्वारा किया जाता है, जो स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं। कई बार इन गिरोहों को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त होता है, जिससे इन्हें पकड़ना और भी मुश्किल हो जाता है।
सुरक्षा एजेंसियां बनीं मूकदर्शक, उठ रहे सवाल

वीडियो में यह साफ देखा गया कि सीमा चौकी के ठीक सामने से तस्कर आराम से पिकअप वाहनों में सामान भरकर ले जा रहे हैं और सुरक्षा एजेंसियां मूकदर्शक बनी हुई हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है क्योंकि यह सुरक्षा में भारी चूक को दर्शाती है। सवाल यह उठता है कि जब सीमा पर चौकसी बढ़ाने की बात की जाती है, तो फिर इस तरह की घटनाएं कैसे हो रही हैं?
क्या यह लापरवाही है या फिर सुरक्षा एजेंसियों की मिलीभगत? यह भी संभव है कि तस्कर सुरक्षा बलों को गुमराह करने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हों। लेकिन यदि तस्करी खुलेआम हो रही है और सुरक्षा एजेंसियां कोई कदम नहीं उठा रही हैं, तो यह साफ संकेत है कि कहीं न कहीं प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है।
सीमा सुरक्षा की कमजोर कड़ी
भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा के लिए कई एजेंसियां तैनात हैं, जिनमें सीमा शुल्क विभाग, सशस्त्र सीमा बल (SSB) और स्थानीय पुलिस शामिल हैं। बावजूद इसके, तस्करी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि तस्कर फर्जी दस्तावेजों और पहचान पत्रों के सहारे सीमा पार करने में सफल हो जाते हैं।
इसके अलावा, सीमा क्षेत्र में कई छोटे रास्ते और पगडंडियां हैं, जिनका उपयोग तस्करी के लिए किया जाता है। इन रास्तों की निगरानी करना कठिन होता है, लेकिन यदि सुरक्षा एजेंसियां सचेत रहें तो इन गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी
सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और तस्करी रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। कुछ प्रमुख उपाय जो किए जा सकते हैं:
- सीमा पर चौकसी बढ़ाई जाए: सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती को मजबूत किया जाए और आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर निगरानी बढ़ाई जाए।
- सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए: पूरे बॉर्डर पर उच्च गुणवत्ता वाले सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके।
- गुप्तचरों की तैनाती: तस्करी को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर गुप्तचरों की तैनाती की जाए, जो समय रहते प्रशासन को सूचना दें।
- सुरक्षा एजेंसियों की जवाबदेही तय हो: यदि किसी क्षेत्र में तस्करी की घटना होती है, तो उस इलाके के सुरक्षा अधिकारियों से जवाब मांगा जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
- स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाए: सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को तस्करी के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि वे इन गिरोहों का हिस्सा न बनें।
भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब यह सुरक्षा एजेंसियों की नाक के नीचे से होने लगे, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। तस्करी न केवल देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा होता है। यदि जल्द ही कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और भी विकराल रूप ले सकती है।