महराजगंज जिले के ठूठीबारी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आयोजित इटहियां सावन मेले में एक बार फिर लापरवाही की कीमत एक युवक को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। यह हादसा न सिर्फ एक परिवार को उजाड़ गया, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था और मेले की सुरक्षा तैयारियों की पोल भी खोल दी है। इस बार झूले से गिरकर नेपाल निवासी युवक विवेक पोखरेल की मौत हो गई। इससे पहले भी इसी मेले में मौत के कुएं में एक युवक स्टंट के दौरान हादसे का शिकार हो चुका है। सवाल उठता है कि क्या हर हादसे के बाद भी प्रशासन सिर्फ तमाशबीन बना रहेगा?
मिली जानकारी के अनुसार घटना शनिवार की है, जब नेपाल निवासी विवेक पोखरेल, पुत्र कमलाकांत पोखरेल, झूले में बैठने ही जा रहे थे। लेकिन उससे पहले ही झूला अचानक चालू हो गया। विवेक संतुलन नहीं बना पाए और झूले से नीचे गिर पड़े। नीचे गिरने के बाद वह गंभीर रूप से घायल हो गए। लोगों ने तत्काल उन्हें निचलौल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, लेकिन हालत गंभीर होने के चलते डॉक्टरों ने उन्हें जिला अस्पताल महराजगंज रेफर कर दिया। अफसोस की बात यह है कि इलाज के दौरान ही विवेक की मौत हो गई।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
विवेक की मौत की खबर मिलते ही उनके परिजनों में कोहराम मच गया। वह महज एक युवक नहीं था, बल्कि पूरे परिवार की उम्मीद था। एक लम्हे की लापरवाही ने पूरे परिवार की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। सोचने वाली बात है कि यह मौत किसी प्राकृतिक आपदा से नहीं, बल्कि मानव निर्मित लापरवाही से हुई है।
सवालों के घेरे में प्रशासन और मेला आयोजन समिति
यह पहली बार नहीं है जब इटहियां मेला किसी हादसे का गवाह बना है। कुछ दिन पहले ही इसी मेले में ‘मौत के कुएं’ में स्टंट करते वक्त एक बाइक सवार गिर पड़ा था। वह हादसा भी बेहद गंभीर था, लेकिन प्रशासन ने उस समय न तो कोई कार्रवाई की और न ही किसी तरह की पाबंदी लगाई। नतीजा यह हुआ कि एक और जान चली गई। सवाल यह है कि आखिर कब तक मेला आयोजकों और प्रशासन की लापरवाही की कीमत आम लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी?
सुरक्षा के नाम पर सिर्फ दिखावा
मेले में हजारों की भीड़ उमड़ती है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर कुछ भी ठोस नहीं दिखाई देता। न झूलों की नियमित जांच होती है, न ही स्टंट गतिविधियों की अनुमति प्रक्रिया पारदर्शी है। किसी भी हादसे की स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाने की व्यवस्था नाकाफी है। क्या प्रशासन को इंतजार है कि और मौतें हों, तब जाकर कोई सख्त कदम उठाया जाए?
लोगों में आक्रोश
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और मेले में मौजूद भीड़ में भारी आक्रोश देखा गया। लोगों ने झूलों की अनियमितता, स्टंट एक्टिविटीज पर प्रशासन की नाकामी और मेला प्रबंधन की लापरवाही पर जमकर सवाल उठाए। कुछ लोगों ने कहा कि यदि पहले हादसे के बाद उचित कार्रवाई होती, तो आज विवेक की जान बच सकती थी।
क्या होंगे प्रशासनिक कदम?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन इस घटना के बाद कोई सख्त कदम उठाता है या फिर हमेशा की तरह जांच के नाम पर लीपापोती कर दी जाएगी। क्या अब झूलों की जांच होगी? क्या स्टंट गतिविधियों पर रोक लगेगी? क्या आयोजन समिति की जवाबदेही तय की जाएगी? इन सभी सवालों के जवाब अब प्रशासन को देना होगा।
इटहियां मेला एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जहां लोग श्रद्धा और मनोरंजन के लिए आते हैं। लेकिन अगर यह उत्सव हादसों का अखाड़ा बन जाए, तो यह पूरे समाज के लिए शर्म की बात है। विवेक की मौत एक चेतावनी है – यदि अब भी प्रशासन और आयोजन समितियां नहीं जागीं, तो अगला नंबर किसी और का होगा। वक्त है कि अब केवल श्रद्धा नहीं, सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी जाए।
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