झुलनीपुर से पडरौना बायपास रोड पर नरकट की जकड़न आखिर कब खुलेगी जिम्मेदार विभाग की नींद?

सड़कें किसी भी क्षेत्र की जीवनरेखा होती हैं। वे केवल यात्रा का साधन ही नहीं बल्कि विकास की धड़कन भी होती हैं। लेकिन जब वही सड़कें लापरवाही और उपेक्षा का शिकार हो जाएं, तो वह राहगीरों के लिए खतरा बन जाती हैं। झुलनीपुर से पडरौना तक जाने वाली बायपास सड़क भी इसी हालात से गुजर रही है। लगभग 7 फीट चौड़ी इस सड़क की स्थिति ऐसी हो गई है कि आम जनमानस को हर रोज जोखिम उठाना पड़ रहा है।

सड़क पर ‘नरकट का कब्ज़ा’

झुलनीपुर–पडरौना बायपास की लंबाई भले ही ज्यादा न हो, लेकिन यह मार्ग स्थानीय लोगों के लिए बेहद अहम है। खासकर दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह सीधा और सुविधाजनक रास्ता माना जाता है। दुर्भाग्यवश, सड़क के दोनों तरफ नरकट (जंगली झाड़ियां) इतनी तेजी से फैल चुकी हैं कि सड़क की चौड़ाई अब मात्र 5 फीट रह गई है।
नरकट ने पूरी तरह कब्ज़ा जमा लिया है। यह न केवल सड़क की सुंदरता बिगाड़ रहा है बल्कि लोगों के लिए खतरा बन रहा है।

रोजाना घट रही छोटी-बड़ी घटनाएं

स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मार्ग पर प्रतिदिन कोई न कोई दोपहिया वाहन चालक नरकट की टहनियों से चोटिल हो रहा है। कई बार तेज़ी से जाते समय ये झाड़ियां सीधे चेहरे या आंख पर लग जाती हैं, जिससे गंभीर चोटें भी लग चुकी हैं। अब तक सौभाग्य यह रहा है कि कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कब तक किस्मत साथ देगी?
सड़क पर जगह कम होने के कारण विपरीत दिशा से आने वाले वाहनों को एक-दूसरे से टकराने से बचना मुश्किल हो जाता है।

जिम्मेदार विभाग की चुप्पी

सबसे बड़ा सवाल यही है कि सड़क की देखरेख करने वाला विभाग आखिर क्यों चुप है?

क्या अधिकारियों की नज़र इस सड़क पर नहीं पड़ रही?

क्या तब तक इंतज़ार किया जाएगा जब तक कोई बड़ी दुर्घटना न हो जाए?

क्या जनसुरक्षा से जुड़ी समस्याएं इतनी महत्वहीन हो गई हैं कि कई महीनों से सड़क पर खड़ी ये झाड़ियां साफ़ करने तक की जहमत नहीं उठाई जा रही?

यह चुप्पी आम नागरिकों के मन में नाराज़गी और असुरक्षा की भावना भर रही है।

सड़क सुरक्षा के प्रति संवेदनहीनता

सड़क सुरक्षा अभियान और हेलमेट–सीटबेल्ट की सख्ती तो जगह-जगह दिखाई देती है, लेकिन क्या यह जिम्मेदारी सिर्फ नागरिकों की है? जब सड़क ही सुरक्षित न हो तो कोई भी सुरक्षा नियम दुर्घटना को पूरी तरह रोक नहीं सकता।
नरकट हटवाना, सड़क की नियमित सफाई और चौड़ाई बनाए रखना संबंधित विभाग का बुनियादी कर्तव्य है। लेकिन जब यह जिम्मेदारी ही पूरी न हो, तो बाकी सभी अभियानों का असर आधा रह जाता है।

आमजन की बेबसी

दोपहिया वाहन चालकों की दिक्कतें सबसे ज्यादा हैं। सड़क संकरी होने के कारण उन्हें दाएं-बाएं झुककर गाड़ी चलानी पड़ती है। कई बार तो पैदल चलना भी जोखिम भरा साबित हो जाता है। बच्चे और बुजुर्ग इस मार्ग पर गुजरने से कतराने लगे हैं। लोग मजबूरी में इस सड़क से गुजरते हैं, क्योंकि कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं है।

अब देर नहीं करनी चाहिए

साफ है कि यह समस्या सिर्फ झाड़ियों की नहीं, बल्कि एक बड़ी लापरवाही का प्रतीक है। अगर सड़क को समय रहते सुरक्षित नहीं बनाया गया, तो किसी बड़ी दुर्घटना के बाद ही विभाग की नींद खुलेगी। लेकिन तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी।
इसलिए आवश्यक है कि जिम्मेदार विभाग तुरंत संज्ञान ले और झुलनीपुर–पडरौना बायपास को अविलंब साफ करवाकर जनता को सुरक्षित सफर का भरोसा दिलाए।

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One thought on “झुलनीपुर से पडरौना बायपास रोड पर नरकट की जकड़न आखिर कब खुलेगी जिम्मेदार विभाग की नींद?

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