महराजगंज जनपद में भारत-नेपाल सीमा पर नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में सोमवार देर शाम पुलिस और सशस्त्र सीमा बल (SSB) की संयुक्त टीम को बड़ी सफलता हाथ लगी। टीम ने एक तस्कर को गिरफ्तार किया और उसके पास से 950 प्रासिको स्पॉस कैप्सूल तथा एक होंडा साइन बाइक बरामद की। यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 500 मीटर पहले SSB रोड पर की गई।
गिरफ्तार किए गए तस्कर की पहचान ठूठीबारी थाना क्षेत्र के निपनिया गांव निवासी बबलू कुमार मद्धेशिया के रूप में हुई है।
नेपाल भेजे जाने की थी तैयारी
पुलिस और SSB की प्राथमिक जांच में खुलासा हुआ है कि बरामद की गई यह नशीली दवाएं अवैध रूप से नेपाल भेजी जानी थीं। भारत-नेपाल खुली सीमा होने के कारण मादक पदार्थों की तस्करी लंबे समय से चुनौती बनी हुई है। तस्कर अक्सर सीमावर्ती गांवों के रास्ते दवाओं, शराब और अन्य नशीले पदार्थों को नेपाल भेजते हैं।
SSB और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई ने इस बार बड़ी मात्रा में दवाओं की खेप पकड़ी है। यह इस बात का प्रमाण है कि सीमा पर गश्त और निगरानी तेज होने से तस्करों की कमर टूट रही है।
अधिकारियों का नेतृत्व और टीम की भूमिका
इस संयुक्त अभियान का नेतृत्व सहायक कमांडेंट दालसानिया हरसुखलाल रूपा भाई और बीओपी इंचार्ज शिवपूजन ने किया। टीम में एसआई बृजेश कुमार पांडेय, कांस्टेबल बलवंत यादव, अनूप यादव और मृत्युंजय तिवारी शामिल रहे।
टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर संदिग्ध व्यक्ति को रोका और उसकी तलाशी ली। जांच में नशीले कैप्सूल बरामद हुए। बाइक को भी जब्त कर लिया गया। इसके बाद आरोपी को स्थानीय पुलिस के हवाले कर दिया गया।
एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई
प्रभारी कोतवाल महेंद्र मिश्रा ने बताया कि आरोपी तस्कर के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस लगातार सतर्क है और गश्त को और बढ़ाया जा रहा है।
महराजगंज जिले के कई थाना क्षेत्रों में पुलिस और एसएसबी की टीमें मिलकर अभियान चला रही हैं। खासकर सीमा से सटे इलाकों में संदिग्धों की तलाशी और चौकसी तेज कर दी गई है।
नशा तस्करी: समाज और युवाओं पर खतरा
नशीले पदार्थों की तस्करी केवल कानून और व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए गंभीर चुनौती है। नेपाल में इन दवाओं की अवैध मांग लगातार बढ़ रही है और भारत से सप्लाई करने के लिए तस्कर सीमावर्ती गांवों को अपना अड्डा बना लेते हैं।
इन दवाओं का सेवन करने वाले युवा नशे की गिरफ्त में फंस जाते हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, प्रासिको स्पॉस जैसे कैप्सूल का लंबे समय तक सेवन मानसिक और शारीरिक रूप से गंभीर नुकसान पहुंचाता है।
सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों की चुनौती
भारत-नेपाल सीमा पर आवाजाही अपेक्षाकृत आसान है, क्योंकि यहां वीज़ा और पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं होती। इस खुलेपन का फायदा तस्कर उठाते हैं। दवाएं, शराब, गांजा और अन्य मादक पदार्थ आसानी से एक ओर से दूसरी ओर भेजे जाते हैं।
SSB और स्थानीय पुलिस लगातार संयुक्त अभियान चलाकर इस चुनौती से निपटने की कोशिश कर रही है। इसके बावजूद तस्करी पूरी तरह से खत्म नहीं हो पा रही है।
स्थानीय लोगों की भूमिका
विशेषज्ञों का मानना है कि तस्करी पर रोक लगाने में स्थानीय लोगों की भूमिका बेहद अहम है। यदि ग्रामीण संदिग्ध गतिविधियों की सूचना पुलिस और SSB को समय पर दें, तो तस्करों को पकड़ना आसान हो जाएगा। प्रशासन भी समय-समय पर जनता से सहयोग की अपील करता है।
नशा मुक्त समाज की ओर कदम
सरकार और प्रशासन नशा तस्करी को रोकने के लिए लगातार कानून लागू कर रहे हैं, लेकिन असली सफलता तभी मिलेगी जब समाज भी इस मुहिम में शामिल होगा।
युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है।
स्कूल और कॉलेज स्तर पर सेमिनार और कार्यशालाओं के जरिए छात्रों को नशे के दुष्प्रभाव बताए जाने चाहिए।
तस्करी रोकने के लिए सीमा पर आधुनिक तकनीक और सीसीटीवी निगरानी का विस्तार होना चाहिए।