निचलौल–परगपुर रोड बदहाल: ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ का नारा

उत्तर प्रदेश के जनपद महराजगंज के निचलौल तहसील क्षेत्र अंतर्गत निचलौल यादव चौराहे से परागपुर रोड की हालत इन दिनों इतनी खराब हो चुकी है कि ग्रामीणों का आक्रोश खुलकर सामने आने लगा है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे, बिखरी हुई गिट्टियां और टूटी पक्की परत अब हादसों को न्योता दे रही है। आलम यह है कि ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए साफ-साफ कह दिया है – “रोड नहीं तो वोट नहीं”।

टूटी सड़क, घायल होते बच्चे

परागपुर और आसपास के गांवों के लोग रोजमर्रा की जिंदगी में इस रोड से गुजरने को मजबूर हैं। खासकर स्कूली बच्चों की परेशानी सबसे ज्यादा है। जब बच्चे पैदल या साइकिल से स्कूल जाते हैं, तो सड़क पर फैली गिट्टियों से उनका पैर फिसल जाता है और चोट लग जाती है। अभिभावक हर दिन बच्चों की सुरक्षा को लेकर परेशान रहते हैं, लेकिन जिम्मेदार विभागों और नेताओं के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही।

ठेला पलटने से ₹2000 का नुकसान

परगपुर निवासी हरिनारायण ने बताया कि वह बेरोजगारी के दौर में अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए सड़क पर ठेला लगाकर मटर, नल्ली और पापड़ बेचते हैं। लेकिन इसी जर्जर सड़क पर उनका ठेला पलट गया, जिससे उन्हें लगभग ₹2000 का नुकसान उठाना पड़ा। उनका कहना है कि अगर यही हालात रहे तो गरीब लोगों का जीवन और कठिन हो जाएगा।

15 साल से नहीं बना रोड

ग्रामीणों का आरोप है कि इस सड़क को बने 15 साल से ज्यादा समय हो चुका है। पक्की जो सड़क पहले थी, वह अब पूरी तरह से टूटकर गिट्टी में बदल गई है। चारों तरफ धूल और गिट्टियों का ढेर है, जिससे पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है।

ग्रामीणों ने बताया कि हाल ही में क्षेत्रीय विधायक प्रेमसागर पटेल कुछ ही दिनों पहले पास के गांव आए थे। उस दौरान ग्रामीणों ने सड़क की समस्या उनके सामने रखी, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल देखने को नहीं मिली।

विरोध प्रदर्शन और ग्रामीणों की मांग

सड़क की बदहाली से तंग आकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और नारों के साथ साफ संदेश दिया –
“रोड नहीं तो वोट नहीं।”

ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के वक्त नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन चुनाव बीतते ही जनता को उनके हाल पर छोड़ देते हैं। अगर समय रहते सड़क नहीं बनी तो वे चुनाव में वोट से जवाब देंगे।

सड़क हादसों का खतरा

जर्जर सड़क के कारण आए दिन छोटे-मोटे हादसे हो रहे हैं। दोपहिया वाहन चालक और रिक्शा-ठेला खींचने वाले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। बारिश के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब गड्ढों में पानी भर जाता है और सड़क का अंदाजा तक नहीं लगता।

विकास के दावों पर सवाल

प्रदेश और केंद्र सरकारें ग्रामीण विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा करती हैं। लेकिन निचलौल–परागपुर रोड की स्थिति उन दावों की पोल खोल रही है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक जमीनी स्तर पर काम नहीं होगा, तब तक विकास केवल कागजों में ही सिमटकर रह जाएगा।

उम्मीद और भरोसा

ग्रामीण अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि उनकी इस समस्या पर ध्यान देंगे। उनका कहना है कि अगर विधायक प्रेमसागर पटेल इस रोड को बनवा दें तो क्षेत्र के लोगों का जीवन बहुत आसान हो जाएगा।

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